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आज सुनाऊं तुम्हें कथा जिसमे राजा न रानी है,
परी नहीं , ना हाथी घोडे ऐसी अजब कहानी है,
अमरीका के किसी शहर में पांच पडोसी रहते थे,
साथ मनाते खुशियाँ वो सब मिल के दुःख सुख सहते थे,
हर होली पर रंग, दिवाली रौनक का आभास था,
इसी मुहल्ले में उन सब का घर बहुत ही पास था,
हर बात बहुत ही आम होती, हर पार्टी सुबह से शाम होती,
फिर शाम से होती रात..... कितनी लम्बी होती बात,
बच्चों का अलग ही जोश होता , किसे अपने पराये का होश होता,
हर कोई लगता अपना था , सच था या कोई सपना था ,
बिन पूछे , बिन फ़ोन किये, जिनके घर हम जा पायें,
वक़्त पड़े तो दूध-टमाटर-दही उधारी ला पायें ,
हर आफत में देता है जो बढ़के अपना कन्धा,
किस्मत वाले पायें ऐसा पास पड़ोस का बंदा,
फिर जैसे खुदा का उदास मन हुआ,
और अमरीका में डिप्रेसन हुआ...
इस आंधी के आगे किसी का बूता नहीं था ,
अफरा तफरी से मेरा मुहल्ला भी अछूता नहीं था ,
कोई नए घर , नए स्कूल गए...... फिर शायद हमको भूल गए ....
जो किसी का देश प्रेम जागा, तो वह सपरिवार अपनी माटी की और भागा,
एक एक कर सब अलविदा कह गए ,
अब पांच में से बस हम दो रह गए....
सो उनका भी कल यहाँ से ट्रान्सफर हो गया,
और हमारा हँसता खेलता पड़ोस जैसे सो गया...
अब पहचाने से चेहरे हैं , पैर जाने ये सब कौन हैं?
कहते हेलो हेलो हैं, पर दिल से सारे मौन हैं |
सामने का आँगन जिसपर गुडिया खेला करती थी,
पूछेगी "मैं आ जाऊं ?" पर मम्मी से डरती थी,
मेरे बच्चे, उनके घर , बिन बोले भागे जाते थे,
आधे दिन तो वो भोजन उनके ही घर खाते थे,
बिन तुम सब के, सचमुच, सबकुछ, कितना फीका फीका है,
लोग कहें परदेस जिसे , क्या ये ही वो अमरीका है?
भारत हो या अमरीका, हमने तो बस ये सीखा ,
चाहे कितने गुण या दोष रहे,
अपने लगे, जहाँ अपना पास पड़ोस रहे......
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Tuesday, August 25, 2009
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9 comments:
लाजबाब
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
बधाई!
सुन्दर व लाजवाब अभिव्यक्ति। अच्छी रचना के लिए रचना जी आपको बधाई।
वाकई बिना अपनों के, पास पडोस के जीवन अधुरा सा लगता है। सारे ही शारीरिक सुख बेमानी हो जाते हैं जब मन को सकून देने वाला कोई शब्द हमारे पास नहीं होता। अच्छा चिंतन है बधाई।
hi archna apke blog par akar accha laga .nic poetry i hav seen ur videos on u tube one month ago ..its nic too see u on blog
अच्छे विचार है ।
अब पहचाने से चेहरे हैं , पैर जाने ये सब कौन हैं?
कहते हेलो हेलो हैं, पर दिल से सारे मौन हैं |
wah
archna ji
wah
peer jane ye sab kaun hai ?
wah bilkul naya pratiman
bahut hi achi rachna
badhai
gud poem, read mine by visiting my blog..
सुन्दर रचना!!
आपके वेबसाइट पर भी अच्छी प्रस्तुति रही.
बहुत बधाई आपको.
-सुलभ
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