दिल जिंदा है वहीँ जहाँ आँखों में सपने रहते हैं,
परदेस सही, पर देस वही जहाँ सारे अपने रहते हैं,
सुर-असुर- बेसुर जहाँ अपने गीतों को गा सकें,
है वही दोस्त का दर जहाँ हम बिना बताये जा सकें .....
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Monday, January 4, 2010
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4 comments:
बहुत खूब!!
’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’
-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.
नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'
कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.
-सादर,
समीर लाल ’समीर’
परदेस सही, पर देस वही जहाँ सारे अपने रहते हैं...
बेहतरीन.
so nice...
वाह वाह, गजब का लेखन-गजब का भाव. ...
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