खबर तकें वो , भेज के पैगाम प्यार का...
कुछ लीजिये हुज़ूर ! लुत्फ़ इंतज़ार का....
जो गाँव से आये थे तो मिलते गले थे हम ,
अब फासला संभालिये इस शहरी यार का....
(c)Archana//
khabar taken wo, bhej ke paigam pyar ka...
kuch lijiye Huzoor! lutf intazaar ka....
jo gaanv se aaye the to milte gale the hum....
ab faasla sambhaaliye is shahari yaar ka.....
(c)Archana//
Wednesday, March 31, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
3 comments:
क्या खूब कही...लाजवाब
आलोक साहिल
जो गाँव से आये थे तो मिलते गले थे हम ,
अब फासला संभालिये इस शहरी यार का....
kya baat hai ..waah
Post a Comment