यशोमती मैया से बोले नंदलाला ,
राधा क्यों गोरी, मैं क्यों काला ?
काहे कान्हा पूछा तुमने मैया से ये सवाल,
तुमरे कारण हम सब साँवलों का हुआ आज ये हाल,
न कहते तो दादी मुझको बचपन में न समझाती ,
के सारी दुनिया को तो बस गोरी चमड़ी है भाती,
बचपन में गोरे होने का राज़ जो टी वि पर टेपा,
जाने कितने फेयर & लवली को मैंने मुंह पर लेपा,
लगा बस दस रुपये में सोल्यूशन सिंपल हुआ,
तो क्या गर चेहरे पर उससे ढेरों पिम्पल हुआ ,
पिम्पलों से न घबराते मैं और लगाऊँ हल्दी,
जाने क्यों गोरा बनने, की मुझको थी जल्दी..
लेकिन अजब चक्कर था, मेरे रंग का फेयर & लवली से टक्कर था,
और मेरा पक्का रंग जीत गया , रंग वैसा ही रहा, फेयर & लवली का मौसम बीत गया...
पढने की खातिर, जब बक्शा लेकर स्कूल गयी,
किताबों की दुनिया में फर्क रंग का भूल गयी,
उम्र के साथ फिर रंगत मेरी राह पड़ी,
जब किसी के साथ मेरी आँख लढी...
याद है मुझको दिन वो न्यारे, संगी साथी प्यारे प्यारे,
जब सब मिलके हम पिकनिक मन रहे थे,
और अपने अपने दिलरुबा के लिए सब गाने गा रहे थे,
जब नंबर मेरे महबूब का आया, और उसने गाने के लिए आसन जमाया,
अब कौन सा गाना होगा फिट, उसके भेजे मैं कुछ नहीं समाया,
उसने सर पैर बहुत फोरी थी, पर क्या करें, हर गीत मैं हेरोइन गोरी थी...
औत अंत तक मेरे लिए उसे गीत नहीं मिला,
पर उस मासूम से मुझे नहीं है गिला,
गिला है तो बोलीवुड से जो ऐसे गीत बनाते हैं,
जो प्रेमी हृदय सिर्फ एक गोरी के लिए ही गा पाते हैं,
दुनिया में जब आधी जनता रंग रंगीली है,
तो फिर शायरों की कलम उनके लिए क्यों ढीली है ?
जो मेरा भैया काला, तो टॉल, डार्क और हैण्डसम है,
और जो मैं काली, तो लोग कहें की रंग कम है ...
एक दिन जो आये ये बहार से, मैंने पूछा पति से प्यार से,
एए जी, क्या मैं तुम्हारे ख्वाबों की मूरत हूँ, क्या मैं खूबसूरत हूँ?
बड़े नाज़ से, एक अलग अंदाज़ से, हर शक को दिया काट,
कहा इन्होने, यू आर ब्यूटीफुल, एट हार्ट !
मैंने घर बसाया आकर अमरीका,
जहाँ लोगों की सोच का अलग है तरीका,
याद है घर मैं एक रात, अपने परिवार के साथ,
मैंने पूछा बच्चों से, खुदा के बन्दे सच्चों से,
मॉम तुम्हारी फाएर नहीं है, जिसकी तुमको केयर नहीं है,
पर दुनिया के अलग ही ढंग हैं, और लोग तो देखते रंग हैं,
सोच रही मैं आज ज़रा के किस किस को सू मैं करूँ?
दादी को जाकर पकडूँ या बोलीवुड को मैं धरूँ?
पापा से मैंने पूछा था बचपन में एक बार,
रंग को लेकर लोग क्यों कहता हैं बातें चार,
और जो बेटी बनाना था मुझे , तो आपके मन में क्यों नहीं आया,
पापा, आपने मुझे गोरा क्यों नहीं बनाया ? - 2
कहा पिता ने बड़े प्यार से , बेटी ,मेरी मैया,
काली शक्ति, काली दुर्गा, काले कृष्ण कन्हैया |
काला रंग कला समाये , काला ही काल को पाए,
कल भी आता काला में ही, काला ही आला कहलाये..
काला हीरा दुगुना महंगा, हीरों का ये दिल बन जाए,
और कहीं ये एक जगह हो , तो नज़र बचाऊ तिल बन जाए !
हाँ हृदय से प्रार्थना उठती है की हर रंग का अपना दम हो,
न कोई रंग ज्यादा और न कोई रंग कम हो ...