Monday, October 27, 2008

दिवाली

उजली शाम, रौनक हैं रातें, अब दिवाली मनाएंगे हम,
पल दो पल हंस लें खुशी से, सारे सपने सजायेंगे हम,

जो तुम सोचो कैसे धूम मचाओगे,
कपड़े, जेवर, कितने पटाखे लाओगे,
यादों में रखना तुम उन बेचारों को,
किस्मत से टूटे, तूफां के मारों को,
जिनके लिए, अब मुश्किल है ,
ज़िन्दगी का गुज़ारा सितम.....

और कभी दीपो का रंग भाये जो,
तुमको अपनों की यादें सताए जो,
घर होंगी कैसी खुशियाँ इस मौसम में,
माँ थोड़ा तो रोएगी मेरे गम में ,
मेरे बिना आँगन में शायद , रोशनी तो नहीं होगी कम....

आओ बनें सहारा किसीका गर ख़ुद को सहारा है कम,
मांगें दुआ आज के दिन तो दिल कोई भी रह जाए नम !

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आप इसकी विडियो यहाँ देख सकते हैं-
http://www.youtube.com/watch?v=JR51a3nYNtM

Sunday, October 19, 2008

कल समां था जहाँ !

(सितम्बर ग्यारह के दर्दनाक हादसे को समर्पित एक गीत )-
आप इसकी विडियो यहाँ देख सकते हैं ---
http://www.youtube.com/watch?v=1YoM5R3u9ds


कल समाँ था जहाँ , अब हवा है वहां,
एक पल में गया , जो सदी में बना,
सिर्फ़ मंज़र नहीं , हौसला खो गया,
खौफ़्फ़ कैसे करुँ मैं बयाँ.......

जब कहीं एक गोली चली, एक माँ का दिल रोया,
नज़रें देखे अपनों का रास्ता , जाने किस ने क्या खोया ,
फूल ही फूल थे, जिनके घर में वहां , अब तो है दर्द की दास्तां,
कल चमन था जहाँ, अब चुभन है वहां ......


इन सियासी दम पेचोखम में पिसता आज है अमन--वतन ,
कैसे रोकूँ कौमों के झगडे, कैसे बदलून , रंग-
-चमन ,
चाह कर भी कुछ कर सकूं अब मैं ,
डर है हर शक्श-
-दिल दरमियाँ...
कल अमन था जहाँ, अब जलन है वहां...

आओ कह दें हम उस खुदा से, बस करे अब जंगों का खेल,
फिर से आए रिश्तों में नरमी, फिर बुलंद हो कौमों का मेल,
आओ मिल के हम सब करें ये दुआ, फिर कोई जंग--गम आए ना.......
कल समां था जहाँ , अब हवा है वहां.....

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Monday, October 13, 2008

कोई इंडिया से जब आए ...

"कोई जाए तो ले आए, मेरी लाख दुआएं पाये " गीत कि धुन पर आधारित

कोई इंडिया से जब आए तो वो यही सोच कर आए,
कि मैं सपनों के देश में आ तो पाई रे ...

पर आकर इस प्लेस में यूँ लगता है.
डॉलर भी तो पेड़ पे नहीं आते हैं ,
मन तन्हा है, जीवन सूना फिर भी रे,
सुख दुःख में हम किस किस से मिल पाते हैं ?
मंहगा डे केयर है , जीरो पे शेएर है ,
कटे आधी तनखा टैक्स में ,लगता नहीं फेयर है !
बैक होम सब बोलें , तुम लाखों में डोलो,
सच्चाई हम जानें तुम हमको न बोलो !

हाँ ! इंडिया से नई मांग आई रे ....
कोई इंडिया से जब आए..

पर जीवन तो फिर भी चलता रहता है,
हमने यहीं पर हँसना गाना सीखा है,
बिना किसी बैसाखी के ख़ुद ही चलना ,
अब तो अपना देस ही अमरीका है !
उस माँ ने जनम दिया , इस माँ ने पाला है,
तो इस माँ का दर्जा उस माँ से आला है !

ए मेरे वतन के लोगों , ये बात जान लो हाँ !
रखना ऊंचा निज स्वाभिमान , तुम जग में रहो जहाँ ...

पूरब से आई कैसी, पुरवाई रे ....
कोई इंडिया से जब आए...

मेट्रीमोनी

एक दिन अकस्मात् , हो गई दासजी से मुलाकात,
हमने कहा कैसे हैं सर,
उन्होंने कहा क्या सुनाएँ ख़बर ?
तीस साल से हैं अमरीका ,
रहन सहन इस देश का सीखा,
कटी जवानी डॉलर पीछे ,
काम किया बस आँखें मींचे ,
दया प्रभु की सब है चंगा ,
बस जीवन में अब एक पंगा,

बड़ी कार , बड़ा बैंक बैलेंस , बड़ी सोसाइटी में घर है,
चाहिए तो बस बेटे को एक बहू और बेटी को एक वर है ,

हमने कहा - अजी ! टेक्नोलोजी का लाभ उठाइए ,
शादी डॉट कॉम पर जाइये ,
उन्होंने हमें घूरा , फिर कहा ,
हमने बहुत है खर्च किया ,
सारे साइटों पर सर्च किया ,
पर अपने तो भाग ही फूटे हैं ,
वहां तो आधे नाम ही झूठे हैं !
हाँ , एक आध सच्चे भी हैं,
हम से सीरियस , अच्छे भी हैं |

हमने बात करी, फोटो आए ,
हमने घर सबको दिखलाये,
बेटी यहीं जो पली बढ़ी ,
हर फोटो पे उसकी नाक चढी ,

हुई खुशी मैं सीना तान गया ,
चलो बेटा किसीपे मान गया ,
पर देखा जो मैंने फोटो दिल ऐसा मेरा धड़का था,
की मेरी फ्यूचर बहू रानी एक लड़की नहीं एक लड़का था ,

कोई बताये हमको ये आज,
ये कब बदला अपना समाज ,
य एरंग नया, वो संग नया,
अब जीने एक तो ढंग नया...

चलो बेटी की बताते हैं..

एक मित्र के सुपुत्र का बेटी को रिश्ता आया था,
फिर जुड़ जायेंगे भारत से ये सोचक के मन हर्षाया था,
फ्यूचर समधन से बोले हम ,
अब मिट जायेंगे सारे गम,
मेरी बेटी को अब तो अपनों का लाड मिलेगा,
वो पूछीं मेरे बेटे को कब तक ग्रीन कार्ड मिलेगा ?

मिस्टर दस थे बड़े उदास ,
टेंशन में सुबहो शाम थे,
निज देश त्याग , परदेस में
रहने के ये कुछ इनाम थे,

मिस्टर दास का सुनकर हाल कलेजा मेरा हिल गया ,
जो पहुँची मैं दफ्तर , एक मित्र भारतीय मिल गया ,
नाम तो उसका शान था,
हरदम रहता परेशान था,

जो मैंने सुनाई उसको दासजी की कथा ,
लगा सुनाने वो भी अपनी शादी की दारुण व्यथा !

उनका क्या सुनती हो ? हमारा सुनो ..

तुम सुनो तो मेरा हाल,पिछले तीन साल ..

एक बस एक भारतीय कन्या के लिए
बीन बजा रहा हूँ, सपने सजा रहा हूँ,
राग मल्हार गा रहा हूँ,
और रोटी के अभाव में पिजा खा रहा हूँ !

पर ये इंडियन लड़कियां इतनी कसाई हैं ,
की इनके लिए हम तो बकरे के भाई हैं ,

जितने हमारे सर पर बाल हैं,
उससे भी ज़्यादा उनके सवाल हैं ,

एक ने पूछा क्या है वीसा ,एक ने पूछा क्या है pay ?
सान फ्रांसिस्को में रहते हो, I hope you are not a gay !
एक ने पूछा स्टॉक हैं ? या रियल इस्टेट में डाला है?
या अब तक अपने तनखे से बस ख़ुद ही को पाला है?
क्या क्या कहूँ सवाल थे सारे , भाग गया मैं डर के मारे..

जो पूछेंगी ये लड़कियां इतने सवाल तकनीकी,
तो देखूँगा लड़की मैं - रुसी, चीनी , अमरीकी...
जाने इंडियन गर्ल्स को क्या हो गया है ?
इनकी शरम, इनका धरम कहाँ खो गया है?

हमारा मित्र भारतीय नारी के अभिमान को रो रहा था ,
हमें गर्व हो रहा था, बहुत गर्व हो रहा था !

फिर भी हिम्मत देने को हमने बोला,
लड़की educated है बम का गोला ..

कम पढ़ी लिखी भोली भाली कहो तो ढूंढ के लाऊँ ,
जो कहे पति को परमेश्वर , मैं तुमको दिखलाऊँ,

वो चीखा - नह्ह्ह्ह्हीं !
बीवी की मार तो सह लूँगा पर मंहगाई कैसे सहूँ ?
सिलिकन वेल्ली में रहना है तो हरदम यही कहूँ ...

बेशक लंगडी लूली हो कोई फियर नहीं है ,
वो भी क्या दुल्हन जो इंजीनियर नहीं है ?

इंजीनियर न सही , डॉक्टर ही सही,
दो तनखा के बिना तो गुजर डियर नहीं है !

हम लगे हुए थे बातों में,
ले कागज़ कुछ हाथों में ,
आई तमन्ना कुछ कहने ,
बड़े तंग कपड़े पहने....
जो निचे से कुछ ऊपर थे ,
और ऊपर से कुछ नीचे !
जी हाँ , बॉलीवुड ने हॉलीवुड को छोड़ दिया है पीछे !

मैंने कहा शान , मेरी बात मान,
घर की मुर्गी धर ले,
तू तमन्ना से ही शादी करले ,

शान तो चुप रहा पर तमन्ना बोली,
ये कैसी बातें खोली ?

शादी तो शादी है, कोई फास्ट फ़ूड नहीं है ,
वैसे भी शादी का मेरा मूड नहीं है !

लेकिन अगर तुम्हारा मित्र मेरा आधा किराया सह सकता है ,
तो मेरे साथ मेरे घर पर रह सकता है ...

बात साथ रहने कि ही है , शादी का क्या तर्क है ?
ऐसे रहें या वैसे , कोई फर्क है?

जी में आया दी चाटें में जड़ दूँ इसको आज,
पर ये नही तमन्ना , ये तो कह रहा है समाज !

घर घर में आज डिवोर्स हो रहे हैं !
स्कूल में सेक्स पर कोर्स हो रहे हैं ,
इराक में यू एस का फाॅर्स ढो रहे हैं,
और सारे प्रोजेक्ट इंडिया आउट सोर्स हो रहे हैं !

अंत में एक मंगल कामना के साथ विदा लेती हूँ-
अर्चना है यही कि भारतीय चेतना आपके करों में हो ,
आपकी या आपके बच्चों कि शादी अच्छे घरों में हो !

आप इस कविता की विडियो यहाँ देख सकते हैं -
http://www.youtube.com/watch?v=7kJ7nuV8wJc

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