इसकी विडियो आप यहाँ देख सकते हैं-
http://www.youtube. com/watch? v=OPQ3ihoZsjo
हिन्दी हिन्दी करते हैं , कहने से डरते हैं,
Hindi don't know का बड़ा आम डायलोग है !
Hindi I love, but cannot say it अब ,
अंग्रेज़ी झाड़ने का बड़ा फैला आज रोग है !
कैसे रहे साथ ये जो बोलना न चाहें इसे,
दाम इसका तो अजी इसका प्रयोग है ,
दुनिया जो पाना चाहे , आप ही गंवाना चाहें ,
खोई पूँजी जानके ये कैसा संजोग है ,
आप ही जो न बोलेंगे, बच्चों से क्या आशा होगी,
अपनी सभ्यता को बच्चे नहीं तोल पाएंगे,
भूल नहीं इनकी , ये ज़िम्मेदारी है हमारी,
बच्चे भारतीयता में नहीं डोल पाएंगे,
बच्चों को जो ना दी हिन्दी ज्योति, हिन्दी बोली बोलो,
द्वार हिन्दी साहित्यों के कैसे खोल पाएंगे ?
कितने ही अंग्रेज़ी हाय- हेल्लो कर लें जी,
दादा- दादी संग ये तो नहीं बोल पाएंगे ......
इसे कठिन मनाना नहीं , माँ है अपना ही लेगी,
हाथों में तुम्हारी अब इसकी है लाज हो ,
गर्व रहे इसपे जी, भारत की बिंदी हिन्दी,
अमेरिका में ना छूटे इसका वो ताज हो,
ठान लें जो मन में की कोशिश करेंगे पूरी,
स्वाभिमान मात्र वाणी पर तुम्हें आज हो,
है ये पहचान मेरी, आन मेरी ,शान मेरी,
बोली पे हमेशा अब हिन्दी का ही राज हो !
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Sunday, September 14, 2008
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4 comments:
archanaji
aapney bilkul sahi likha hai. hindi ko adhikadhik logon key apnaney se hi angregi key prati moh bhang hoga. hindi per maine bhi kk post dali hai usey bhi dekh sakti hain
बहुत खूब!!!
हिन्दी दिवस की बधाई एवं शुभकामनाऐं.
Hello kavita..
this is manish from Udaipur Rajasthan...
I read ur poems.. but i came to know that not a single poem is ur creation...
i suggest u to check my blog ..there u will find something creative and new...
My blog address is:-
http://mylostshadows.blogspot.com/
aap ke sangharsh ko, jijivisha ko sankalp ko naman.bahut acchhaa laga dekh kar 'mai hoon unkesaath khadi.......'selection of songs,poems is praise worthy.keep writing
thankfully
dr.bhoopendra rewa m.p
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