Tuesday, March 9, 2010


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खुद की गलती पे हमें माफ़ किये जाते हैं ,
चेहरे पे धूल, आइना साफ़ किये जाते हैं,
आप ही कातिल मेरे और आप ही मुंसिफ बने ,
वल्लाह ! क्या खूब इन्साफ किये जाते हैं....

khud ki galti pe hamen maaf kiye jaate hain,
chehre pe dhool, aina saaf kiye jaate hain,
aap hi qaatil mere aur aap hi munsif bane,
wallah! kya khoob insaaf kiye jaate hain...


(c)Archana


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3 comments:

अजय कुमार said...

शेर दमदार लगे

Mithilesh dubey said...

बेहद खूबसूरत रचना लगी ।

निर्मला कपिला said...

वाह बहुत खूब शुभकामनायें