Saturday, December 20, 2008

नया साल !

नए साल का तुमसे है कहना,
यूँ ही गाते ही रहना,
तुम दिल से , समझे?
नए साल का तुमसे है कहना, मुस्काते ही रहना,
खुशी से, समझे?
हाँ, अपना भी दिन आएगा , जहाँ हमको दोहराएगा,
हम पर खुशियाँ बरसायेगा,
समझो जो कहती हूँ, नए साल का....

तुम यों, हारे हो क्यों, जो मुश्किल पल था, चला गया,
देखो, वो नया सवेरा, वो नई चुनौती का पल गया,
हाँ, कर लो नई इब्तदा, सुनो ज़िन्दगी की सदा,
हर पल की नई है अदा,
समझो जो कहती हूँ.....

आओ, करें हम वादा, नए मौसम का नया समाँ हो,
मिलके, बढ़ें हम ऐसे, यूँ ही गाते गाते , खुशी जवान हो,
माना अपना रिश्ता नहीं , इंसान हूँ , फ़रिश्ता नहीं ,
फिर भी दोहराऊँ किस्सा वही,
समझो जो कहती हूँ...

(अरमान मूवी के "समझे" गीत की धुन पर आधारित )

इसकी विडियो आप इस लिंक पर देख सकते हैं-
http://www.youtube.com/watch?v=kImyvB23HfU

आपकी,
अर्चना

2 comments:

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

भाव और िवचार के समन्वय से रचना प्रभावशाली हो गई है । अच्छा िलखा है आपने । जीवन के सत्य को सामाियक संदभोॆं में यथाथॆपरकर ढंग से अिभव्यक्त िकया है । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है-आत्मिवश्वास के सहारे जीतें िजंदगी की जंग-समय हो तो पढें और अपनी कीमती राय भी दें-

http://www.ashokvichar.blogspot.com

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर रचना है....इसके लिंक पर क्लिक किया है...देखती हूं।