~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
मेरे देश के माथे का सिरमौर हिमालय धाम है,
और बसा जिस राज्य में, उसका उत्तराखंड नाम है,
राज्य अनूठा, लोग भी अनुपम, अपनापन है फैला,
बारह वर्षों में लगता है जहाँ कुम्भ का मेला,
देव भूमि, पावन धरती, जहाँ सत्य की नींव टिकी थी,
वेद व्यास ने महाभारत की गाथा यहीं लिखी थी,
बिना प्रश्न का उत्तर काशी, हरिद्वार की रोटी,
छोटे चारों धाम यहाँ , नैना देवी चोटी,
जिम कार्बेट का पार्क यहाँ और जन्नत अल्मोड़ा है,
अफलातून है देहरादून और नैनीताल का जोड़ा है,
गंगा मैया और जमुनाजी का जन्म यहीं हुआ है,
सिक्षा में भी आई आई टी रूरकी ने भी गगन छुआ है...
रुद्रप्रयाग है त्याग की आग, जिसकी महिमा प्रचंड है,
रहे गर्व मुझको सदा, ये मेरा उत्तराखंड है ..
इस कविता की विडियो अप यहाँ देख सकते हैं -
http://youtu.be/vbI3XnfYzSs
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Wednesday, June 22, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
12 comments:
बहुत अच्छी लगी यह कविता और आपका ब्लॉग।
------
कल 27/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
सुन्दर प्रस्तुति पर
बहुत बहुत बधाई ||
बहुत सुन्दर रचना ...
बहुत अच्छा लिखा है... अच्छी तस्वीर खींची...
सादर...
Sundar aur manmohak.
अत्यंत भावुक कृतज्ञता पूर्ण रचना ..देव भूमि कि जय हो ...स्वागत है आपका ..शुभकामनायें !!!
बहुत सुन्दर रचना ...बहुत बहुत बधाई ||
वाह जी वाह, बडी मेहनत की इस लेख में,
Very good.....
nice one
like us at https://www.facebook.com/gauravspoems
Very nice poem
visit us at http://kadamtaal.com/
agian nice poem
” Best poem in Hindi and Ghazals lyrics”
Post a Comment