आज पकड़ में जाने कैसे दिल का एक कोना आया,
जब मुस्काई बिना वजह मैं... बेमतलब रोना आया..
वाह रे ऊपरवाले... मैं सदके तेरी यारी ,
भूलूँ न मैं तुझको....तेरी हरदम है तैय्यारी...
जो तू चाहे, पैरों पे मैं खुद चलवाऊं आरी,
पर न भूलो देव, कभी मेरी आएगी बारी....
भूखी थी मैं रोटी की...... और हाथ मेरे सोना आया..
जब मुस्काई बिना वजह मैं... बेमतलब रोना आया..
'मैं'-'मैं' के इस जमघट में, मिले कोई तो 'हम' जैसा,
भरे ज़िन्दगी, हर दिल में जो, पाक दुआ के दम जैसा,
अल्फाजों से परे जो सुन ले ... देखे, जो दिखता नहीं,
नज़रें क्या, रूहों तक पहुंचे, रहमत के मौसम जैसा...
देर तलक थी चौराहे पे, हरजाई वो ना आया..
तब मुस्काई बिना वजह मैं, बेमतलब रोना आया...
आज पकड़ में जाने कैसे दिल का एक कोना आया,
जब मुस्काई बिना वजह मैं... बेमतलब रोना आया..
6 comments:
bahut khoob
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