Friday, January 13, 2012

जब मुस्काई बिना वजह मैं... बेमतलब रोना आया..

आज पकड़ में जाने कैसे दिल का एक कोना आया,

जब मुस्काई बिना वजह मैं... बेमतलब रोना आया..

वाह रे ऊपरवाले... मैं सदके तेरी यारी ,

भूलूँ मैं तुझको....तेरी हरदम है तैय्यारी...

जो तू चाहे, पैरों पे मैं खुद चलवाऊं आरी,

पर भूलो देव, कभी मेरी आएगी बारी....

भूखी थी मैं रोटी की...... और हाथ मेरे सोना आया..

जब मुस्काई बिना वजह मैं... बेमतलब रोना आया..

'मैं'-'मैं' के इस जमघट में, मिले कोई तो 'हम' जैसा,

भरे ज़िन्दगी, हर दिल में जो, पाक दुआ के दम जैसा,

अल्फाजों से परे जो सुन ले ... देखे, जो दिखता नहीं,

नज़रें क्या, रूहों तक पहुंचे, रहमत के मौसम जैसा...

देर तलक थी चौराहे पे, हरजाई वो ना आया..

तब मुस्काई बिना वजह मैं, बेमतलब रोना आया...

आज पकड़ में जाने कैसे दिल का एक कोना आया,

जब मुस्काई बिना वजह मैं... बेमतलब रोना आया..

6 comments:

बेचैन मुसाफ़िर said...

bahut khoob
ashuhindipoems.blogspot.in

ApnaPoetryCanvas said...

Amazing poem. Good choice of words.
ApnaPoetryCanvas.blogspot.co.uk

Unknown said...

नमस्कार आपका ब्लॉग देखा, बहूत ही उच्च दर की कविताये है. हमने कुछ कविताओं की एक एंड्रोईड एप बनाई है, आशा है आपको पसंद आयेगी, https://goo.gl/U6reJB इस लिंक से आप अपनी एंड्रोईड एप डाउनलोड कर सकते है,

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Neeta Dandsena said...

NICE ONE

#vpsinghrajput said...

Very nice post
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Dr. Praveen Shukla said...

बहुत अच्छी पंक्तियाँ लिखी आपने....great...

https://drkavitashukla.blogspot.com/?m=1