पता है, नहीं हो , पर क्यों लगता है, यहीं हो
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तुम क्यों दिखाना चाहते हो ,
की तुम्हें मेरी परवाह है ,
होंटों पे मुस्कान सजाते हो पर दिल में तो आह है ,
क्या तुम जताना चाहते हो ,
की तुम्हें मुझसे प्यार है ,
अरे ! प्यार में कहो, कैसी जीत, कैसी हार है ?
शायद तुम बताना चाहते हो,
की तुम्हारी ही हर बात रहे?
पर जिद के चलते , कैसे खुशियों का साथ रहे ?
हाँ ! तुम सताना चाहते हो ,
गर तुमको इतना गरूर है ,
तो हमें भी तुम्हारी चुनौती मंज़ूर है !
Monday, July 28, 2008
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