किसी ने कभी पूछा था की आख़िर प्रेम क्या है ? जितना भी मेरा इस पर ज्ञान है, उसे जोड़ कर कुछ लिख रही हूँकिसी त्रुटी पर भृकुटी कृपया न तानें सहायता करें की आगे गलती न हो
प्रेम का frame
प्रेम भावना है,
मात्र अधरों की छाप नही है
ऊर्जा है जीवन की, मात्र तन का ताप नही है|
प्रेम रूप-रंग-नाम या आकार नहीं है ,
जो चल है, मल है , छल है, वह प्यार नहीं है !
प्रेम विश्वास है , ये हृदय का एक जाप है ,
प्रयास साथ साथ में , ये उन्नति का नाप है ,
ये शिष्टता का तप है , मर्यादा ये आप है ,
सीमा जो पार कर जाए , वह प्रेम नही, पाप है !
तू ही मेरा आख़िर कर , तू ही मेरा पहला होता ,
सच्चाई को जान ये मेरा दिल जो नहीं दहला होता ,
मैं तेरी लैला होती और तू मेरा छैला होता ,
हम हँसते गाते साथ साथ , जो दिल न तेरा मैला होता ,
A रचना
डेफिनिशन-
चल - अस्थायी
मल - dirty
छल - धोखा
Thursday, July 10, 2008
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