उजली शाम, रौनक हैं रातें, अब दिवाली मनाएंगे हम,
पल दो पल हंस लें खुशी से, सारे सपने सजायेंगे हम,
जो तुम सोचो कैसे धूम मचाओगे,
कपड़े, जेवर, कितने पटाखे लाओगे,
यादों में रखना तुम उन बेचारों को,
किस्मत से टूटे, तूफां के मारों को,
जिनके लिए, अब मुश्किल है ,
ज़िन्दगी का गुज़ारा सितम.....
और कभी दीपो का रंग न भाये जो,
तुमको अपनों की यादें सताए जो,
घर होंगी कैसी खुशियाँ इस मौसम में,
माँ थोड़ा तो रोएगी मेरे गम में ,
मेरे बिना आँगन में शायद , रोशनी तो नहीं होगी कम....
आओ बनें सहारा किसीका गर ख़ुद को सहारा है कम,
मांगें दुआ आज के दिन तो दिल कोई भी न रह जाए नम !
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आप इसकी विडियो यहाँ देख सकते हैं-
http://www.youtube.com/watch?v=JR51a3nYNtM
Monday, October 27, 2008
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7 comments:
आमीन।शुभ-दीवाली।
आपको दीवाली की शुभकामनाएं
सुन्दर कविता ।
आपको व आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ।
घुघूती बासूती
दीवाली पर्व पर हार्दिक शुभकामना और बधाई आपका भविष्य उज्जवल हों की कामना के साथ..
दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएँ। दीपावली आप और आप के परिवार के लिए सर्वांग समृद्धि और खुशियाँ लाए।
आदरणीय अर्चना जी,
एक बार फ़िर से बहुत अच्छी और मौलिक व रचनात्मक अभिव्यक्ति के लिए बधाई स्वीकार कीजिये. कविता के या व्यापक अर्थ में कहें तो प्रत्येक रचनात्मक अभिव्यक्ति के लिए उसके कलात्मक और सौंदर्यबोधी रूपों के साथ उसकी सामाजिक जिम्मेदारी सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है. ये भी कहा जा सकता है की अपने इन दायित्वों की प्रतिपूर्ति के साथ ही अभिव्यक्ति में रचनात्मकता के "प्राण" आ जाते हैं.
आपकी ये कविता इस दिशा में एक समर्थ और ध्यानाकर्षक दस्तक देती है.
कविता का पहला हिस्सा बाह्य जगत की संवेदनाओं को रूपायित करता है तो दूसरा हिस्सा अंतर्जगत की गुह्यतम गहराइयों में दबे-ढंके नितांत निजी दर्द की परतें खोलता है.
कविता एक नदी के समान होती है जो बाहर से भीतर की ओर प्रवाहित होती है. इस प्रवाह में वह बाह्यजगत के अनुभवों और अंतर्जगत की अनुभूतियों के साथ तालमेल बिठाते हुए, उनमें संतुलन बनाते हुए और उन्हें समग्रतः आत्मसात करते हुए जीवन्तता और जिजीविषा को पुनर्परिभाषित कर उनमें नए अर्थ देने का वचन देती है. यह कविता उस वचन को पूरी ईमानदारी के साथ पूरा करती है इसलिए इस कविता की यह यात्रा कविता की आदर्श यात्रा है.
दीप-पर्व की अशेष मंगलकामनाओं के साथ-
आनंदकृष्ण, जबलपुर.
मोबाइल : ०९४२५८००८१८
http://hindi-nikash.blogspot.com
आपने बहुत सुंदर भाव को अिभव्यक्त िकया है । दीपावली की साथॆकता तभी है जब सभी खुिशयां मनाएं । मैने भी अपने ब्लाग पर एक किवता िलखी है । समय हो तो आप पढें आैर प्रितिकर्या भी दंें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
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