"कोई जाए तो ले आए, मेरी लाख दुआएं पाये " गीत कि धुन पर आधारित
कोई इंडिया से जब आए तो वो यही सोच कर आए,
कि मैं सपनों के देश में आ तो पाई रे ...
पर आकर इस प्लेस में यूँ लगता है.
डॉलर भी तो पेड़ पे नहीं आते हैं ,
मन तन्हा है, जीवन सूना फिर भी रे,
सुख दुःख में हम किस किस से मिल पाते हैं ?
मंहगा डे केयर है , जीरो पे शेएर है ,
कटे आधी तनखा टैक्स में ,लगता नहीं फेयर है !
बैक होम सब बोलें , तुम लाखों में डोलो,
सच्चाई हम जानें तुम हमको न बोलो !
हाँ ! इंडिया से नई मांग आई रे ....
कोई इंडिया से जब आए..
पर जीवन तो फिर भी चलता रहता है,
हमने यहीं पर हँसना गाना सीखा है,
बिना किसी बैसाखी के ख़ुद ही चलना ,
अब तो अपना देस ही अमरीका है !
उस माँ ने जनम दिया , इस माँ ने पाला है,
तो इस माँ का दर्जा उस माँ से आला है !
ए मेरे वतन के लोगों , ये बात जान लो हाँ !
रखना ऊंचा निज स्वाभिमान , तुम जग में रहो जहाँ ...
पूरब से आई कैसी, पुरवाई रे ....
कोई इंडिया से जब आए...
Monday, October 13, 2008
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5 comments:
लिखती बहुत अच्छा ह मगर औरों को भी तो पढ़ा करो!!
ह=हो!
no doubt, achha lekhan hai. udantastari ki salah bhi achhi hai, dusaron ki rachnayen padhengi to lekhan aur nikhrega,protsahan dengi to protsahan milega.achhi kavita ke liye dhanywad.
हमेशा की तरह बेहतरीन रचना के लिए धन्यवाद आपके आगमन के लिए भी धन्यबाद मेरी नई रचना कैलंडर पढने हेतु आप सादर आमंत्रित हैं
videsh mein rahney walon key sukh dukh ko bade achchey dhang sey abhivyakt kiya hai.
मैने अपने ब्लाग पर- सुरक्षा ही नहीं होगी तो कैसे नौकरी करेंगी मिहलाएं - िलखा है । इस मुद्दे पर आप अपनी प्रितिक्र्या देकर बहस को आगे बढा सकते हैं-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
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