Thursday, May 8, 2008

आजादी

देखो ये बस्ती ये हँसते चेहरे,
कोई बंदिश कोई पहरे,
हो मुबारक हिन्दोस्तान को आजादी का सिला,
जब जवानों ने जान गवांई , हंस के गोली सीने पे खायी ,
उनकी कुर्बानी के ही दम से हम को ये दिन मिला,
वादा करो की सब ऊंचा रखोगे अब भारत का झंडा,
देखो शान हिमालय का पड़ जाए ठंडा,

अब हमको लड़ना है अब के हालातों से रखना है भारत का नाम ,
शक्ति से भक्ति से मुक्ति हो पापों की , आओ करें हम वो काम,
आए यहाँ हो तो डॉलर के पीछे ही भागो तुम सुबह--शाम,
बातों सखी को तुम खुशियों के मोटी, रखना हँसी के पयाम ,
रोती है दुनिया हँसाके दिखाओ , बच्चों को संस्कारें सिखाओ,
सारी ही दुनिया को अपना समझ कर करना सबका भला,
अपने घर को मन्दिर बनाओ, मदिरा सिगरेट इसमे लाओ,
जैसे चलोगे तुम अपनी चालें, बच्चा वैसा चला,
बच्चों को हर दिन पार्क लेके जाना उनका बचपन खिलेगा ,
बीवी को वीकेंड में बहार खिलाना , प्यार दुगुना मिलेगा,



दिया खुदा ने तुम्हे है ये किस्मत, आके यहाँ हो बसे,
खोना मिट्टीसे रिश्ता वो अपना, पश्चिम तुम्हें दसे ,
अपने खजाने से छोटी अट्ठानी गर दे दो तुम दान में,
मिल जाए तो कोई बच्चे को अवसर, बढ़ जाए वो ज्ञान में,

माँ के कर्जे को कुछ तो चुकाओ,
पुण्य कमाओ , टैक्स भी बचाओ,
इतनी दूरी पे बैठे हैं हम सब , कर पायें और क्या?
आज़ादी का तिरंगा सजाओ, सभ्यता के नगाडे बजाओ,
आज मिलकर इस अनगन में बनाएं भारत नया,

हो मुबारक सबको आज, आजादी का जलसा,
देश महका रहे मेरा हरदम एक कमल सा.........

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