Wednesday, May 7, 2008

दिवाली

उजली शाम, रौनक हैं रातें, अब दिवाली मनाएंगे हम,
पल दो पल हंस लें खुशी से, सारे सपने सजायेंगे हम,

जो तुम सोचो कैसे धूम मचाओगे,
कपड़े जेवर, कितने पटाखे लाओगे,
यादों में रखना तुम उन बेचारों को,
किस्मत से टूटे, तूफां के मारों को,
जिनके लिए, अब मुश्किल है ,
ज़िन्दगी का गुज़ारा सितम.....

और कभी दीपो का रंग भाये जो,
तुमको अपनों की यादें सताए जो,
घर होंगी कैसी खुशियाँ इस मौसम में,
माँ थोड़ा तो रोएगी मेरे गम में ,
मेरे बिना आनगन में शायद , रोशनी तो नहीं होगी कम....

आओ बनें सहारा किसीका गर ख़ुद को सहारा है कम,
मांगें दुआ आज के दिन तो दिल कोई भी रह जाए नम !

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