Thursday, May 8, 2008

Chaand-Chakor- चाँद चकोर

किसी गुलसितां में चहकती थी हरदम ,
दो आंखों में उसकी महकती थी शबनम ,
सभी फूल पाती उसी पर फ़िदा थे ,
जो गूंजे सदा में उसी की सदा थे |

थी लाडो सभी की चहेती चकोर ,
कूदती भागती थी वो चारों ही ओर,
था मासूम दिल ऐसा , भोली सी सूरत ,
थी उसके लिए ये जहाँ खूबसूरत ,

एक दिन जो नज़र आसमान पर पड़ी ,
चाँद के चेहरे से उसकी आँखें लड़ी,
देखती ही रही कुछ भी बोले वो ,
मुस्कुराये मगर राज़ खोले वो ,

फिर कहा उसने ये बड़े दांव से,
चाँद ला दो मुझे आसमान गाँव से ,
सब हँसे चल रे पगली जिद नहीं ऐसे करते ,
कभी तारों को देखा है ज़मीं पे उतरते,

अगर वो ज़मीं पे सकता नहीं ,
तो में क्यों ख़ुद ही उस जाऊं वहीँ ,
यहीं तो दिखे है , उठाओ नज़र ,
हाथों से चूलूं , जो बढाऊं अगर ,

सब ये बोले जो दीखता है होता नहीं,
रेत के ढेर में पानी सोता नहीं ,
इश्क़ में कौन दुनिया में रोता नहीं ,
जो समझता है सपने पिरोता नहीं....


मानी उडी उड़ चली वो चकोर ,
दोनों पंख खोले वो अम्बर की ओर ,
दिन ही को देखा , रातों को जाना,
गर्मी सर्दी, हवा का ठिकाना ,

जो टूटा बुलंदी से दम आखरी,
तो प्यासी वो आके ज़मीं पे गिरी ,
अपने उजडे पंखों को मींचे हुए
पहुँची प्यासी पोखर साँस खींचे हुए ,

देखा जो पानी में था चाँद एक,
आई जान वापस , दिया मौत फ़ेंक ,
गई वो समझ दुनिया दारी को आज ,
लो तुम भी सुनो उस चकोरी का राज़ ,

जो ख्वाइश करो तुम कभी चाँद की ,
अपने घर में पानी का घडा डालना ,
जो सच्ची हो चाहत झुके आसमां,
हमसफ़र दिल तुम ज़रा बड़ा पालना |

4 comments:

D said...
This comment has been removed by the author.
D said...

A very beautiful poem ma'am.
the best part was :
देखती ही रही कुछ भी बोले न वो ,
मुस्कुराये मगर राज़ खोले न वो.

You've got some extra ordinary talent coz you're writing so beautiful and nice poems....I was actually trying to make a sher for a girl...wasn't able to...so i was trying to write something to relate her with the moon.....then suddenly I recalled a poem from my school days...it had a line something like "ek tuk dekhta rahe, chaatak chaand chakor"
I googled it and stumbled upon your blog...it's really nice to see an Indian, residing in America since past 10 years, write such beautiful stuff in Hindi.
great stuff lady...keep it up...I like your spirit


likhi jo kavita aapne apne haatho se,
har akshar uska ek kala hai,
bakherte chaloge tum yu hi khoobsoorti,
gar buland tumhara haunsla hai.

- D'puk.

Unknown said...

Beautiful😌😌

Unknown said...

Beautiful😌😌