Thursday, May 8, 2008

राधा की प्रीत

प्रेमी कन्हैया के चटकीले छैंयाँ से सखियाँ तुम मुझको बचाओ रे,
पकड़े वो बैयाँ से, बोले हम मैया से, भागे तो उसको भगाओ रे,
करता रहता मनमानी,
अबके अपनी भी है मनवानी , रे,

सबको वो छेड़े , बातों में लभेडे, है लढता वो जमुना किनारे हो,
माखन चुराता , गीतों से रिझाता वो गगरी पे कांकरिया मारे हो,
उसकी मुरली का कोई सानी,
सुन के पत्थर भी हो जाए पानी , हो....

यशोदा का लाला, नटखट नंदलाला, सुन राधा के प्रेमों की बानी हो,
छूटे संग तेरा कर ले वचन मेरा, सबरी शरत मैंने मानी हो ,
तू तो है सागर गोकुल का राजा, तेरे मन की मैं बन जाऊं रानी हो,

बोला कन्हैया ने सुन प्रिये राधिके, हृदयों का मिलना है अपना,
इसमे भी शक्ति है, भक्ति है, मुक्ति है, कुंदन का अग्नि में तपना,
जब तक मैं रहूँ हरदम रहेगी, मेरी मुरली राधा की निशानी हो.....

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