शायरी
१. 'चाहिए' और 'चाह' का सिरा तुम न पूछो ,
की दिल और दिमाग का सिला तुम न पूछो ,
जो कह दें की हमने ये दिल से कहा है ,
तो उसकी वजह तुम दिमागों से पूछो !
२. ज़िन्दगी को मिला एक सिरा चाहने का,
वो चाह , जो चाहत है एक सिलसिले की,
फहमी में ग़लत तुम न आना कभी भी ,
ये उल्फत नहीं है , इंसानी दिले की,
मुहब्बत है एक तस्सवुर से मेरे ,
जो मिलता है ले ले के चेहरे नए ,
कभी तो मिले बाहें खोले वो अपने ,
कभी फिर लगाए वो पहरे नए !
३. प्यारा प्यारा प्यार तुम्हारा , प्यारा है इज़हार तुम्हारा ,
दो पल ही , हुआ तो सही , हल्का इक दीदार तुम्हारा ,
तुम आए , तुम यूँ आए , रहा रात झंकार तुम्हारा ,
कुछ तुमने भी दिया हौसला , कुछ दिल गुनाहगार तुम्हारा ....
४. अब आया जीने में मज़ा , बूँदें बरसी अश्कों की अभी,
रही न रहो पास मेरे, यादें मिलती हैं, जो तुमको देखूं कभी ...
५. हँसता है दिल, मुस्कुराती हूँ मैं,
अब हरदम तेरे गीत गाती हूँ मैं,
जो पुकारो मुझे दौडी आती हूँ मैं ,
अब शाम-ओ-सेहर गुनगुनाती हूँ मैं ...
६. कागज़ पे लिखा था शेरों को तुमने,
या दिल पे मेरे कोई नगमा खुदा था ,
जो आया था मिलने ज़रा वक्त पहले ,
था साया मेरा ही या मुझसे जुदा था ?
७.दिल धड़कता तो था पर ऐसे नहीं ,
सांसें चलती तो थी, इस जैसे नहीं ,
किया जादू है कैसा ये तुमने सनम ,
जी थी मैं, हूँ लगती वैसी नहीं !
८. गुज़रता है दिन खुमारी में ,
कट ती है रात बेक़रारी में ,
जाने खुदा वक्त कैसा वो होगा ,
रहती हूँ मैं जिसकी तैयारी में !
९. कैसा ये गुमाँ हमें है आजकल ,
की रहते हैं दुनिया में लोग आज भी,
हमने मौसम से ज़्यादा दिल देखे बदलते,
हम यहीं हैं, कहते हिं लोग आज भी !
१०. गर वक्त-ऐ-शिकायत से आन आना न था,
तौबा इस से बेहतर बहाना न था ?
११. डर है फिर इस्क्ह की सज़ा न मिले ,
हर अदा में छुपा कातिलाना ज़हर ,
ज़रा धीरे धड़क ए मेरे प्यासे दिल,
तुझसे पहले न जाएँ ये साँसें ठहर !
१२.शुक्रिया दोस्त गुल-ऐ-दिल को खिलाया ,
ग़ज़ल से हमारे हमीं को मिलाया ,
न मुमकिन था पाना , गम-ऐ-आशिकाना ,
न जाने जहर क्या हमें है पिलाया !
१३. क्या ग़ज़ल, शायरी भी न भाये हमें,
अब तो हरसू नज़र तू ही आए हमें,
क्या करें ? तुम कहो, दिल गया हाथ से ,
अब तो देखेंगे , जो दिल दिखाए हमें ....
१४ . ज़िन्दगी में कभी मैं तुमसी बन सकूं,
खुल के रोऊँ , कभी खुल के मुस्का सकूं,
ये दिखावे का चेहरा , अब भाता नहीं,
कैसे फेंकूं मगर मुझको आता नहीं.....
१५. निकल हम पड़े हैं , अपनी ही धुन में आज ,
अब देखें जो भी मंज़र , आए निगाह में,
ख़ुद क्या बताएं , फूल या काँटों का बचपना ,
सब बिछ गए हैं आज किस्मतों की राह में ....
१६ मिल सकते हैं क्या मुझसे , वो मासूमी से कहते हैं ,
कोई पूछे किस हक से , वो दिल में मेरे रहते हैं ?
१७.अभी तो मिले हैं , घड़ी दो घड़ी,
है लाखों ही दिल में क्यों अरमा हैं जागे?
न कहना किसी से हमारी ये बातें ,
ज़माने की हमको नज़र न लगे...
१८ जो आओ कभी तुम मुहल्ले हमारे ,
तो लैब पे मेरा नाम लेना नहीं ,
हैं बैठे सभी टाक में लोग इसके ,
ये मौका ज़माने को देना नहीं,
१९ शुकर है खुदा का , ये मौका मिला ,
कहें तुमसे दिल का हर शिकवा गिला,
इस्क्ह इज़हार हो शायरी के सहारे ,
तुबे घुट ते कई दिलजले गम के मारे !
२०.है ख़बर हमको, तेरी फितरत बड़ी ही सकत है,
दो घड़ी मेरे लिए भी क्या ज़रा सा वक्त है ?
Thursday, May 8, 2008
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