संभला है दिल बड़ी मुश्किल से आज ,
लो चल दिए उठ के तेरी महफिल से आज ,
तूफाँ में भी कश्ती हँसती रही ,
लो फिर आके टूटा दिल साहिल पे आज ,
समंदर थी दोस्ती आपकी अब ये जाना ,
हर आँसू में खारापन कुछ शामिल है आज,
अब पूछो न मेरी अमीरी के जलवे,
हर आह पे सबकी वाह हासिल है आज,
नहीं खेलना अपने दिल से हमें अब,
ये टूटने के भी नही काबिल है आज !
Wednesday, August 13, 2008
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