Saturday, August 16, 2008

पराया

दिल में फिर सिहरन सी? किसका ये साया है ?
वीराने दिल में फिर रहने कोई आया है.....

कहता है दिल तुमको हाथों से छूलूं,
डर है टूटे जो रिश्ता बनाया है.....

मुझपे तो थी , सारी दुनिया की बंदिश,
दिल मेरा तुमपे किस तरह से आया है?

गर है हकीक़त, ये कैसे मैं मानूं,
जो अपना लगा था, वो आँगन पराया है !
मुहब्बत से हम तो सींचे जा रहे थे,
वो प्यारा सा , नन्हा सा पौधा पराया है,
वो कतरा खुशी का जो पाया अभी था,
वो ज़ज्बा, वो कतरा, चमन ही पराया है,
किसे मानें अपना ? किसे अब पराया ?
जो अपना था छूटा, जो आया पराया है ....

हासिल क्या होगा , तुम्हे यार मेरे?
क्यों तुमने मुझको दीवाना बनाया है?

तुम भी तो झुल्सोगे जो हम जलेंगे,
तौबा खुदा ने क्या शोला लगाया है...

चलो उसको ही सौंपें ये कुदरत की बातें,
कैसा लगा जो ये नगमा सुनाया है?

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