था सौदा बड़ा ही ये सस्ता मगर,
दिल के खोने का गम तो हुआ है हमें,
शायरी जैसी अपनी तो उड़ने लगी,
तेरी चाहत ने जबसे छुआ है हमें,
अब ख्वाहिश है जियें जी भर के इसे,
कल रहे न रहे मौसम-ऐ-आशिकाना ,
ये खुदा की है रहमत, तुम जो भी कहो ,
हर किसी को मिले न खुशी का खजाना .....
Friday, August 15, 2008
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