Friday, August 1, 2008

बूझ मेरा क्या song रे?- Dvitiya

मैंने इसे बाद में पोस्ट करने का सोचा था पर लगा किसी किसी को पुराने गाने आते हैं किसी को नए, तो इन दोनों को एक ही साथ पोस्ट करना चाहिए |
और हाँ कोई चीटिंग नहीं करना , ओ के ?
और ये भी बता दूँ, दोनों sections में , जो भी सबसे ज़्यादा सवाल सही करेगा , उसे/ उन्हें इनाम भी मिलेगा ! अब इनाम क्या है वो तो जीतने वाले को ही बताया जाएगा ..
अरे ! disclaimer तो भूल गई .. कोई स्पेलिंग ग़लत हो तो माफ़ कीजियेगा !

तो लीजिये नए गीतों को बूझने और जूझने के सवाल -

१. लम्हा लम्हा अरमानों की फरमाइश थी ,
लम्हा लम्हा जुर्रत की आजमाइश थी

२. जी ये चाहे बना के आँचल तुमको लपेटूं तन पे ,
और कभी की मैं उड़ जाऊं तुम को लिए गगन पे ,

३. कभी है मिलन , कभी फुरकत ,
है यही क्या वो मोहब्बत ,
वाह रे वाह तेरी कुदरत !

४. कल क्या हो किसको ख़बर , लगता है डर , लगता है डर
इस पल में सिमटे उमर , रात कटे न , कभी हो सेहर ......

५. मन में है राधे को कान्हा जो बसाए ,
तो कान्हा काहे को उसे न बताये ?

६. भेज ना इतना दूर मुझको तू ,
याद भी तुझको आ न पाऊँ , ....
क्या इतना बुरा हूँ मैं , ....

७. ओहो ज़रा रास्ता तो दो , थोड़ा सा बादल चखना है ,
बड़ा बड़ा कोयले से नाम फलक पर लिखना है ,

८. तोडे मैंने सारे ही बंधन ज़माने तेरे , तोडूंगी न मैं वा..........दा,
आधा हिस्सा मेरे इस दिल की कहानी का तू, पिया मैं बाकी आधा ,

९. इतने चेहरों में अपने चेहरे की पहचान तो हो,
बड़े बड़े नामों में अपना भी नाम-ओ- निशाँ तो हो

१०. हमने जो था नग्मा सुना , दिल ने था उसको चुना , ये दास्ताँ हमें वक्त ने कैसी सुनाई ?
हम जो अगर हैं गमगीन , वो भी उधर खुश तो नहीं , मुलाकातों में जैसे घुल सी गई तन्हाई .


बोलो , बोलो , बोलो .....

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