Saturday, August 16, 2008

Zindagi - ज़िन्दगी

वह रे तेरी धाक ज़िन्दगी !
आईने सी पाक ज़िन्दगी ,
पल में कर दे शहंशाह तो ,
पल में कर दे ख़ाक ज़िन्दगी ...

उनसे मिलना, फिर मिलना , फिर मिलना, मिलते रहना,
नए बहाने मेल जोल के देना तू हर बार ज़िन्दगी ...

सोच सोच कर दिल हँसता है, कैसी ये नादानी है,
फूल पराया है जिसपे आया हमको प्यार ज़िन्दगी !

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